White घर से निकला हूँ लेकर,मैं यादों की सन्दूक, अप | English Video

"White घर से निकला हूँ लेकर,मैं यादों की सन्दूक, अपने देश की रक्षा खातिर,मैंने थामा है बन्दूक। याद मुझें हैं अब भी गलियां सारी,अपने प्यारे गाँव की, भूला नही अम्बिया की छईयां,ना ही कोयल की कूक। बात बात पर मुझे डाँटने वाले,माँ बाबूजी तुम सुन लो, सरहद पे खड़ा,ये लाल तुम्हारा,अब नही करेगा चूक। हाँ ये सच है यहाँ रसोई में,खाने का स्वाद अलग है, पर माँ तेरी रोटी याद करूँ,तो मेरी बढ़ जाती है भूख। अश्कों के संग बह जाता है,सारा रुतबा और रसूख, अच्छा नही,यादों से कह दो,वर्दीवाले संग ये सुलूक, किस स्याही से लिखते हो,खत में रूबरू दिखते हो, बातें पढ़के तुम्हारी उठे इस दिल में,एक तीखी सी हूक। मैं सीमा का रखवाला,रहता उन यादों की जद में, बनके घातक असलहा,जो मुझपे वार करें अचूक। या आऊँगा सही सलामत या तिरंगे में लिपटकर, ये तो तय मैं लौटूंगा दुश्मनों के सारें बंकर फूँक। हर कसम मैं अपनी,आखिरी साँस तक निभाऊंगा, वादा याद रखो तुम,दिल में मत रखना कोई शुकूक। ©Deven(बदनसीब सुख़नवर)"

White घर से निकला हूँ लेकर,मैं यादों की सन्दूक, अपने देश की रक्षा खातिर,मैंने थामा है बन्दूक। याद मुझें हैं अब भी गलियां सारी,अपने प्यारे गाँव की, भूला नही अम्बिया की छईयां,ना ही कोयल की कूक। बात बात पर मुझे डाँटने वाले,माँ बाबूजी तुम सुन लो, सरहद पे खड़ा,ये लाल तुम्हारा,अब नही करेगा चूक। हाँ ये सच है यहाँ रसोई में,खाने का स्वाद अलग है, पर माँ तेरी रोटी याद करूँ,तो मेरी बढ़ जाती है भूख। अश्कों के संग बह जाता है,सारा रुतबा और रसूख, अच्छा नही,यादों से कह दो,वर्दीवाले संग ये सुलूक, किस स्याही से लिखते हो,खत में रूबरू दिखते हो, बातें पढ़के तुम्हारी उठे इस दिल में,एक तीखी सी हूक। मैं सीमा का रखवाला,रहता उन यादों की जद में, बनके घातक असलहा,जो मुझपे वार करें अचूक। या आऊँगा सही सलामत या तिरंगे में लिपटकर, ये तो तय मैं लौटूंगा दुश्मनों के सारें बंकर फूँक। हर कसम मैं अपनी,आखिरी साँस तक निभाऊंगा, वादा याद रखो तुम,दिल में मत रखना कोई शुकूक। ©Deven(बदनसीब सुख़नवर)

#kargil_vijay_diwas
सारें भारतीय सैनिकों के सम्मान में....

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