White क्या मैं हूं कहीं
या मैं हूं ही नहीं,,,,
मेले के आकर्षण वाली भीड़ में,
खिलौनों - झूलों में कहीं
खलती रही है सदा मुझको किसी अपने की कमी
क्या मैं हूं कहीं
या मैं हूं ही नहीं
खेतों और खलिहानों में
काम से थके हारे टूटते बदन की बहती पसीने की नमी में कही,,
पिया है हरदम आसुओं का घूट ही,,,,
क्या मैं हूं कहीं
या मैं हूं ही नहीं,...
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©Rakesh frnds4ever
#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं
क्या मैं हूं कहीं
या मैं हूं ही नहीं,,,,
मेले के आकर्षण वाली भीड़ में,
खिलौनों - झूलों में कहीं
#खलती रही है सदा #मुझको किसी #अपने की #कमी