प्रधानमंत्री की कुर्सी पास इनके क्या नहीं तू सोच मत ।
वोट इनके हैं यहां तो सरकार है ।। १
शेंक लेंगे रोटियां भी लाश पर ।
तू वतन के नाम पे संहार है ।। २
मत उलझ उन बस्तियों में आग है ।
अब हमारी आपसे दरकार है ।। ३
रोटियां सूखी सही पर चाह है ।
भूख से सोए न अब परवाह है ।। ४
अब तलक सोचा किसी ने भी नहीं ।
मौत का फैला क्युँ कारोबार है ।। ५
देख लो नेता बदल कर तुम यहां ।
पेट भर दे जो तुम्हारा यार है ।। ६
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
पास इनके क्या नहीं तू सोच मत ।
वोट इनके हैं यहां तो सरकार है ।। १
शेंक लेंगे रोटियां ये लाश पर ।
अब वतन के नाम पे संहार है ।। २
मत उलझ उन बस्तियों में आग है ।
अब हमारी आपसे दरकार है ।। ३