ये हिज्र भी वक्त की गुलामी करवा लेता है जहाँ रोना | हिंदी Shayari

"ये हिज्र भी वक्त की गुलामी करवा लेता है जहाँ रोना होता है हमें, वहाँ भी हंसवा लेता है।।"

 ये हिज्र भी वक्त की गुलामी करवा लेता है
जहाँ रोना होता है हमें, वहाँ भी हंसवा लेता है।।

ये हिज्र भी वक्त की गुलामी करवा लेता है जहाँ रोना होता है हमें, वहाँ भी हंसवा लेता है।।

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