तुम शानदार हो क्योंकि तुम कागज हो। मैं जानदार हूं | हिंदी शायरी

"तुम शानदार हो क्योंकि तुम कागज हो। मैं जानदार हूं क्योंकि मैं कलम हूं।। गर मैं तुमसे गुजर जाऊं लम्हा-लम्हा। तो कहीं पर मुस्कुराहट कहीं पे आंखे नम हो।। ©KaviRaj bhatapara"

 तुम शानदार हो क्योंकि तुम कागज हो।
मैं जानदार हूं क्योंकि मैं कलम हूं।।
गर मैं तुमसे गुजर जाऊं लम्हा-लम्हा।
तो कहीं पर मुस्कुराहट कहीं पे आंखे नम हो।।

©KaviRaj bhatapara

तुम शानदार हो क्योंकि तुम कागज हो। मैं जानदार हूं क्योंकि मैं कलम हूं।। गर मैं तुमसे गुजर जाऊं लम्हा-लम्हा। तो कहीं पर मुस्कुराहट कहीं पे आंखे नम हो।। ©KaviRaj bhatapara

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