सफ़र के साथी हो तुम, रहगुज़र के हमसफ़र
तुम्हारे बिना अधूरा, हर एक मंज़र का सफर।
तुमसे है दिल की हर ख़ुशी, तुमसे है हर ख़्वाब पूरा
तुम्हारे बिना यूं लगता है, जैसे दिल है बेमतलाब।
तुम साथ हो तो राहें भी, महकती हैं फूलों से
तुम्हारे बिना ये सफर, लगता है खाली धूलों से।
तुम हो तो हर लम्हा, एक नई कहानी कहता है
तुम्हारे बिना ये वक्त, बस एक खामोशी में बहता है।
हमसफ़र हो तुम मेरे, इस सफर का साथ न छोड़ना
तुम्हारे बिना ये दिल, फिर कभी मुस्कुराना न छोड़ना।
©kbkiranbisht
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