White कोशिश क्यों न करूं जीने की, क्यों हार मान | हिंदी कविता

"White कोशिश क्यों न करूं जीने की, क्यों हार मान लूं मैं, अभी तो रास्ते बचे हैं बहुत, क्यों रुक जाऊं थक कर यहाँ? हर एक चुनौती, हर एक कठिनाई, सिखाने आई है मुझको कुछ नया, जो गिर के उठना सीखा है मैंने, वो हार कहाँ जानता है भला? तूफ़ान आएं, आंधियां चलें, मेरे हौसले न डिगने पाएंगे, कदम-कदम पर रुकावटें मिलें, फिर भी मेरे सपने सजते जाएंगे। जीवन की राह है अनजान सही, पर हर मोड़ पर है एक आस नई, हर अंधेरे में छुपा है उजाला कहीं, मैं क्यों न चलूं, क्यों थमूं यहीं? इसलिए कोशिश करूं जीने की मैं, हर पल को जिऊं, हर क्षण को सजाऊं, रास्ते चाहे जैसे हों कठिन, हिम्मत से हर बाधा को हराऊं। ©aditi the writer "

 White कोशिश क्यों न करूं जीने की,  
क्यों हार मान लूं मैं,  
अभी तो रास्ते बचे हैं बहुत,  
क्यों रुक जाऊं थक कर यहाँ?

हर एक चुनौती, हर एक कठिनाई,  
सिखाने आई है मुझको कुछ नया,  
जो गिर के उठना सीखा है मैंने,  
वो हार कहाँ जानता है भला?

तूफ़ान आएं, आंधियां चलें,  
मेरे हौसले न डिगने पाएंगे,  
कदम-कदम पर रुकावटें मिलें,  
फिर भी मेरे सपने सजते जाएंगे।

जीवन की राह है अनजान सही,  
पर हर मोड़ पर है एक आस नई,  
हर अंधेरे में छुपा है उजाला कहीं,  
मैं क्यों न चलूं, क्यों थमूं यहीं?

इसलिए कोशिश करूं जीने की मैं,  
हर पल को जिऊं, हर क्षण को सजाऊं,  
रास्ते चाहे जैसे हों कठिन,  
हिम्मत से हर बाधा को हराऊं।

©aditi the writer

White कोशिश क्यों न करूं जीने की, क्यों हार मान लूं मैं, अभी तो रास्ते बचे हैं बहुत, क्यों रुक जाऊं थक कर यहाँ? हर एक चुनौती, हर एक कठिनाई, सिखाने आई है मुझको कुछ नया, जो गिर के उठना सीखा है मैंने, वो हार कहाँ जानता है भला? तूफ़ान आएं, आंधियां चलें, मेरे हौसले न डिगने पाएंगे, कदम-कदम पर रुकावटें मिलें, फिर भी मेरे सपने सजते जाएंगे। जीवन की राह है अनजान सही, पर हर मोड़ पर है एक आस नई, हर अंधेरे में छुपा है उजाला कहीं, मैं क्यों न चलूं, क्यों थमूं यहीं? इसलिए कोशिश करूं जीने की मैं, हर पल को जिऊं, हर क्षण को सजाऊं, रास्ते चाहे जैसे हों कठिन, हिम्मत से हर बाधा को हराऊं। ©aditi the writer

#love_shayari @Niaz (Harf) @vineetapanchal आगाज़

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