शिव-दर्शन
शिव से निर्मित है संसार शीश नदी है सृष्टि राग दूज चाँद जीवन की छाया नेत्र तेज ममता की धारा,
तीज नेत्र दण्डाधिकारी कर डमरू दे स्वर संसारी कंठ हलाहल त्याग स्वरूप हाथ त्रिशूल रक्षा अनुरूपा,
शिखर श्रेष्ठता है झलकाता नृत्य ख़ुशी से मन बहलाता तांडव रूद्र, हाथ आशीषा नन्दी कर्म, सिंह सत्ता-रूपा,
गौरी माया तुमने धारी भोले बन सच्चाई वारी तुम हो मानव दर्शन पूरा अनंत राज़ तुम इतना गहरा खुद को जाने तुमको पाए आप साधे और सब सध जाए ।
©Ajay Kashyap
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