White ऐसे न रूठा करो जान निकल जाती है सुना है चार | हिंदी कविता

"White ऐसे न रूठा करो जान निकल जाती है सुना है चार दिन की जिंदगी है कब निकल जाती है मिलते है लोग यू ही मुकर जाते हैं माना कि चेहरे की रंगत अलग होती लेकिन हर कोई एक सा नहीं मिलते है टूटी हुई हस्ती को चलाने के लिए जिंदगी को जीने के लिए और कुछ निभाने के लिए समझो वक्त की नजाकत बस मुलाकात है कभी न मिलने के लिए बस सब यादें है यादों को निभाने के लिए। 👍 सतीश गुप्ता 👍 ©satish gupta"

 White ऐसे न रूठा करो जान निकल जाती है
सुना है चार दिन की जिंदगी है 
कब निकल जाती है 
मिलते है लोग यू ही मुकर जाते हैं 
माना कि चेहरे की रंगत अलग होती
लेकिन हर कोई एक सा नहीं 
मिलते है टूटी हुई हस्ती को चलाने के लिए 
जिंदगी को जीने के लिए और कुछ निभाने के लिए 
समझो वक्त की नजाकत 
बस मुलाकात है कभी न मिलने के लिए
बस सब यादें है यादों को निभाने के लिए।

    👍 सतीश गुप्ता 👍

©satish gupta

White ऐसे न रूठा करो जान निकल जाती है सुना है चार दिन की जिंदगी है कब निकल जाती है मिलते है लोग यू ही मुकर जाते हैं माना कि चेहरे की रंगत अलग होती लेकिन हर कोई एक सा नहीं मिलते है टूटी हुई हस्ती को चलाने के लिए जिंदगी को जीने के लिए और कुछ निभाने के लिए समझो वक्त की नजाकत बस मुलाकात है कभी न मिलने के लिए बस सब यादें है यादों को निभाने के लिए। 👍 सतीश गुप्ता 👍 ©satish gupta

#love_shayari 27 जुलाई 2024

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