यह दुपट्टा तो जैसे दीवार है और ये पलकें, जैसे इन | हिंदी शायरी

"यह दुपट्टा तो जैसे दीवार है और ये पलकें, जैसे इन आँखों पर पहरा देती हैं | जानता हूँ कि आप कोई खंज़र नहीं, मगर इशारों से ज़ख्म बहुत गहरा देती हैं | ©Navin Gautam"

 यह दुपट्टा तो जैसे दीवार है और ये पलकें, 
जैसे इन आँखों पर पहरा देती हैं |

जानता हूँ कि आप कोई खंज़र नहीं, 
मगर इशारों से ज़ख्म बहुत गहरा देती हैं |

©Navin Gautam

यह दुपट्टा तो जैसे दीवार है और ये पलकें, जैसे इन आँखों पर पहरा देती हैं | जानता हूँ कि आप कोई खंज़र नहीं, मगर इशारों से ज़ख्म बहुत गहरा देती हैं | ©Navin Gautam

#mask shayri

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