जमाने मे हमेशा से तो बस तकदीर चलती है। नही सोचो जर | हिंदी शायरी

"जमाने मे हमेशा से तो बस तकदीर चलती है। नही सोचो जरा तो राम को वन धाम क्या होता? गुलो से ही कभी गुलशन अगर गुलज़ार होते तो। बताओ फिर जरा काँटो का इसमें काम क्या होता?"

 जमाने मे हमेशा से तो बस तकदीर चलती है।
नही सोचो जरा तो राम को वन धाम क्या होता?
गुलो से ही कभी गुलशन अगर गुलज़ार होते तो।
बताओ फिर जरा काँटो का इसमें काम क्या होता?

जमाने मे हमेशा से तो बस तकदीर चलती है। नही सोचो जरा तो राम को वन धाम क्या होता? गुलो से ही कभी गुलशन अगर गुलज़ार होते तो। बताओ फिर जरा काँटो का इसमें काम क्या होता?

मुक्तक

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