अँधेरा अँधेरा महज अँधेरा नहीं है, निशाचरों का द | हिंदी कविता Video

"अँधेरा अँधेरा महज अँधेरा नहीं है, निशाचरों का दिन है "अँधेरा " अँधेरे में दिनचरो से बेख़ौफ़ वे जुटाते है अपना जीवन पथ्य. अन्धेरा न होता तो, न होता बल्ब न बिजली अँधेरा न होता तो सितारों भरी रात कहाँ होती! अन्धेरा न होता तो, शायद कवि की रचना में चाँद भी न होता. अन्धेरा न होता तो उजाले की चाहत कोई न करता शायद. ©Kamlesh Kandpal "

अँधेरा अँधेरा महज अँधेरा नहीं है, निशाचरों का दिन है "अँधेरा " अँधेरे में दिनचरो से बेख़ौफ़ वे जुटाते है अपना जीवन पथ्य. अन्धेरा न होता तो, न होता बल्ब न बिजली अँधेरा न होता तो सितारों भरी रात कहाँ होती! अन्धेरा न होता तो, शायद कवि की रचना में चाँद भी न होता. अन्धेरा न होता तो उजाले की चाहत कोई न करता शायद. ©Kamlesh Kandpal

#andhera

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