मैंने देखा ही नहीं कोई भी मौसम, मैंने चाहा है तुम् | हिंदी Poetry

"मैंने देखा ही नहीं कोई भी मौसम, मैंने चाहा है तुम्हें चाय की तरह। ©villain"

 मैंने देखा ही नहीं कोई भी मौसम,
मैंने चाहा है तुम्हें चाय की तरह।

©villain

मैंने देखा ही नहीं कोई भी मौसम, मैंने चाहा है तुम्हें चाय की तरह। ©villain

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