देखता हु जब उसे एक सुकून सा मिलता है जाने क्यों एक

"देखता हु जब उसे एक सुकून सा मिलता है जाने क्यों एक अनजान यू अपना सा लगता है । होंठों पर शब्द नही , पर मनन में बातों का समंदर सा उठता है। जाने क्यो एक अनजान से मिलना यू सपना सा लगता है । ज़िन्दगी एक खूबसूरत गीत है उस मंज़िल को पाने का पर जाने क्यों उस अनजान के साथ ये सफर मंज़िल से भी हसीन लगता है ।"

 देखता हु जब उसे एक सुकून सा मिलता है
जाने क्यों एक अनजान यू अपना सा लगता है ।

होंठों पर शब्द नही , पर मनन में बातों का समंदर सा उठता है।
जाने क्यो एक अनजान से मिलना यू सपना सा लगता है ।

ज़िन्दगी एक खूबसूरत गीत है उस मंज़िल को पाने का
पर जाने क्यों उस अनजान के साथ ये सफर मंज़िल से भी हसीन लगता है ।

देखता हु जब उसे एक सुकून सा मिलता है जाने क्यों एक अनजान यू अपना सा लगता है । होंठों पर शब्द नही , पर मनन में बातों का समंदर सा उठता है। जाने क्यो एक अनजान से मिलना यू सपना सा लगता है । ज़िन्दगी एक खूबसूरत गीत है उस मंज़िल को पाने का पर जाने क्यों उस अनजान के साथ ये सफर मंज़िल से भी हसीन लगता है ।

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