सालों से चलता आ रहा था रिश्ता हमारा ,
फिर ये क्या हो गया, तू कैसे मेरे सामने ही किसी ओर का हो गया ,
तुझे पाने के लिए हर एक से दूर होती रही मैं ,
तू जो रूठा तो अपने आप को कोसती रही मैं ,
दिल आज भी उदास हो जाता है ये सोच के ,
कैसे बेवफ़ा कह दिया तूने सर - ए - बाज़ार में ,
तुझे मनाने के लिए हर एक हद से गुज़र गई मैं ,
तेरी जिस्म की ख्वाहिश को पूरी कर रात रात रोती रही मैं ,
सच्चे दिल से चाहा था तुझे ,तेरे लिए जान भी निसार थी मेरी ,
काश तू समझ पाता मैंने छोड़ा नहीं तुझे ,ये सबसे बड़ी हार थी मेरी।।
©Suman Gupta
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