कभी मां की तरह समझाना कभी पिता के जैसे डांटना
कभी बहन बन सताना कभी भाई बन रूलाना
ऐ दोस्त आज तू बोहोत याद आया
मेरी आंखों के अश्क पर रोने वाला, आज मेरी आंखें नम हुई
तो तू बोहोत याद आया
मेरे हर दर्द की दवा बनने वाला, आज जब दर्द हुआ
तो वो दोस्त बोहोत याद आया
कभी रूठने वाला तो कभी मनाने वाला वो दोस्त
आज अकेला हुआ तो बोहोत याद आया
कल तक जिसकी दोस्ती पर इतराया करता था, कलेजे का टुकड़ा बताया करता था, आज वो दोस्त बोहोत याद आया
जिसके संग पढा करता था टिफिन बाटा करता था
आज वो दोस्त बोहोत याद आया
लड़कियों पर लाइन मारने पर, गलत चकरो में पड़ने पर, जो गालियां सुनाया करता था, वो गालियों भरा मेसिज बोहोत याद आया
लोगों की सोच में प्यार मोहब्बत इश्क जैसे सो नाम मिलेंगे हमारी दोस्ती के, इनकी परवाह ना करने वाला वो NCC का दबंग, आज बोहोत याद आया
दो मिनट की जरूरी बात बोलकर, दो घंटे चुगली करने वाला दोस्त अब खामोश रहता है, तो दिल को वो पुराना दोस्त बोहोत याद आया
©Paras Sindhu
#bestfriend