लिबास की तरह दोस्ताना बदलता है हर दिन ये अपना ठि | हिंदी कविता

"लिबास की तरह दोस्ताना बदलता है हर दिन ये अपना ठिकाना बदलता है इंसान है यह जनाब परिंदा तो नहीं इसलिये हर रोज आशियाना बदलता है ©अपर्णा विजय"

 लिबास की तरह 
दोस्ताना बदलता है
हर दिन ये अपना 
ठिकाना बदलता है
इंसान  है  यह  जनाब
  परिंदा  तो  नहीं  
इसलिये  हर रोज 
आशियाना बदलता है

©अपर्णा विजय

लिबास की तरह दोस्ताना बदलता है हर दिन ये अपना ठिकाना बदलता है इंसान है यह जनाब परिंदा तो नहीं इसलिये हर रोज आशियाना बदलता है ©अपर्णा विजय

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