ज़िंदगी है अपने कब्जे में न अपने बस में मौत आदमी म | हिंदी शायरी Video

"ज़िंदगी है अपने कब्जे में न अपने बस में मौत आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है ©राहुल रौशन "

ज़िंदगी है अपने कब्जे में न अपने बस में मौत आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है ©राहुल रौशन

♥️अहमद आमेठवी साहब♥️

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