White क़लाम ------- किस-२ को सुनाए हम हाल-ए- दिल-ए | हिंदी शायरी

"White क़लाम ------- किस-२ को सुनाए हम हाल-ए- दिल-ए-सोज़ा कोई देखता नहीं आइने के रू -ब- रू फ़ुर्क़त में इंसा कोई मेरे ख़्वाबों में आ के मुझको इस तरह परेशान न कर और सितम दे ज़फ़ाकार की बाकी न रहे अरमां कोई इन दैर- ओ - हरम से क्या परहेज़ करें ऐ ज़ाहिद बे- पिए हाशमी-शराब क्या होता है मुसलमां कोई दिखता नहीं दुर तलक कोई क़तरा-ए-आब सेहरा में इक़ उम्मीद की फिर आबाद होगा यां गुलिस्तां कोई ' माहे ' अपनी बे -कशी का रोना किस के आगे रोते कि नज़र न आता है मुझ को ख़्वाब- ए-परेशां कोई सुमन झा 'माहे' गोरखपुर ©jha madam Classes"

 White क़लाम
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किस-२ को सुनाए हम हाल-ए- दिल-ए-सोज़ा कोई 
देखता नहीं आइने के रू -ब- रू फ़ुर्क़त में इंसा कोई

मेरे ख़्वाबों में आ के मुझको इस तरह परेशान न कर
और सितम दे ज़फ़ाकार की बाकी न रहे अरमां कोई

इन  दैर- ओ - हरम  से  क्या  परहेज़  करें ऐ ज़ाहिद
बे- पिए हाशमी-शराब क्या होता है मुसलमां कोई

दिखता नहीं दुर तलक कोई क़तरा-ए-आब सेहरा में
इक़ उम्मीद की फिर आबाद होगा यां गुलिस्तां कोई

' माहे ' अपनी बे -कशी का रोना किस के आगे रोते
कि नज़र न आता है मुझ को ख़्वाब- ए-परेशां कोई

सुमन झा 'माहे' 
  गोरखपुर

©jha madam Classes

White क़लाम ------- किस-२ को सुनाए हम हाल-ए- दिल-ए-सोज़ा कोई देखता नहीं आइने के रू -ब- रू फ़ुर्क़त में इंसा कोई मेरे ख़्वाबों में आ के मुझको इस तरह परेशान न कर और सितम दे ज़फ़ाकार की बाकी न रहे अरमां कोई इन दैर- ओ - हरम से क्या परहेज़ करें ऐ ज़ाहिद बे- पिए हाशमी-शराब क्या होता है मुसलमां कोई दिखता नहीं दुर तलक कोई क़तरा-ए-आब सेहरा में इक़ उम्मीद की फिर आबाद होगा यां गुलिस्तां कोई ' माहे ' अपनी बे -कशी का रोना किस के आगे रोते कि नज़र न आता है मुझ को ख़्वाब- ए-परेशां कोई सुमन झा 'माहे' गोरखपुर ©jha madam Classes

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