White क़लाम
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किस-२ को सुनाए हम हाल-ए- दिल-ए-सोज़ा कोई
देखता नहीं आइने के रू -ब- रू फ़ुर्क़त में इंसा कोई
मेरे ख़्वाबों में आ के मुझको इस तरह परेशान न कर
और सितम दे ज़फ़ाकार की बाकी न रहे अरमां कोई
इन दैर- ओ - हरम से क्या परहेज़ करें ऐ ज़ाहिद
बे- पिए हाशमी-शराब क्या होता है मुसलमां कोई
दिखता नहीं दुर तलक कोई क़तरा-ए-आब सेहरा में
इक़ उम्मीद की फिर आबाद होगा यां गुलिस्तां कोई
' माहे ' अपनी बे -कशी का रोना किस के आगे रोते
कि नज़र न आता है मुझ को ख़्वाब- ए-परेशां कोई
सुमन झा 'माहे'
गोरखपुर
©jha madam Classes
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