पीछे पलट कर देखू तो केवल और केवल
हताशा और निराशा ही दिखाई देती है।
और आगे बड़ कर देखू तो उन ढेरों आशाओं में
एक आशा अपने बदलाव की दिखाई दे रही है।
पर बीते कुछ समय की उन निराशाओं ने इस कदर
मेरे मनोबल को तोड़ा है कि
आशा की वो एक किरण में भी
ग्रहण लगने का डर दिखा रही है।।
©dpDAMS