श्री राम ने रावण को मारा,
जो कि था लंका को प्यारा,
अहंकार का था उसको सहारा,
नार प्रेम में सब कुछ हारा,
भगवान रूप को समझ ना पाया,
श्री राम प्रेम की मिली न छाया,
भाई प्रेम को जिसने दुततकरा,
अंत समय श्रीराम पुकारा,
विद्वानी और बड़ा अभिमानी,
अंतकाल ही अपनी गलती जानी,
श्री राम राम बस उसकी वाणी.
©Rapchik Kaushal https://youtu.be/9r2nccQ5RAI
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