ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी उदास नहीं करती मुझे। सोचती | हिंदी Poetry

"ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी उदास नहीं करती मुझे। सोचती हूँ उस वक्त तेरे होने ना होने से, क्या फर्क पड़ता है मुझे। मौजूद तेरा होना, बेशक खुशी देता है। लेकिन हर-वक्त.... तुझ में खोकर अपने वुजूद को खो देती हूँ। ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी अहसास कराती है, मुझमें भी एक मैं हूँ। ©@Vandana.Rawat"वन्दू""

 ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी 
उदास नहीं करती मुझे।
सोचती हूँ उस वक्त
तेरे होने ना होने से, 
क्या फर्क पड़ता है मुझे। 
मौजूद तेरा होना, 
बेशक खुशी देता है।
लेकिन हर-वक्त....
तुझ में खोकर अपने 
वुजूद को खो देती हूँ। 
ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी 
अहसास कराती है, 
मुझमें भी एक मैं हूँ।

©@Vandana.Rawat"वन्दू"

ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी उदास नहीं करती मुझे। सोचती हूँ उस वक्त तेरे होने ना होने से, क्या फर्क पड़ता है मुझे। मौजूद तेरा होना, बेशक खुशी देता है। लेकिन हर-वक्त.... तुझ में खोकर अपने वुजूद को खो देती हूँ। ग़ैर मौजूदगी तुम्हारी अहसास कराती है, मुझमें भी एक मैं हूँ। ©@Vandana.Rawat"वन्दू"

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"गैर मौजूदगी तेरी"
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