*श्रद्धांजलि* स्वर्गीय गोविंद

"*श्रद्धांजलि* स्वर्गीय गोविंद राम और विद्यावती जी का ये प्यारा परिवार है! आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!! राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चार बेटे थे किए! और चारो की एक लाड़ली बहन,इन पांचों के लिए जिए!! सबको अच्छी शिक्षा दी ,सबका संस्कारी परिवार है! आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!! नेक दिल बहुत थे वो ,प्यार बाटते गए! सब मिलके साथ रहो ,हमेशा डाटते रहे!! हम सब आज खुश है जो , ये उनके आशीर्वाद की बहार है! आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!! जब तक माताजी साथ थे पांचों ने सेवा खूब की ! और आज वो नही है तो ,याद आती आज भी!! एक बेटा वहा आज भी सेवा कर रहा, यहां रह गए बस चार है! आज हम सब एक है ये उनके संस्कार है!! हम सबको यहां देखकर वो फूले नहीं समा रहे ! यही सबसे बड़ा आशीर्वाद जो हम सब यहा पा रहे।। "गिरधर" की ये भावना बच्चो में भी ऐसा प्यार हो। आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है।। *सचिन गिरधर* ©Sachin Girdhar"

 *श्रद्धांजलि*
                    
स्वर्गीय गोविंद राम और विद्यावती जी का ये प्यारा परिवार है!
आज हम सब एक है ये उनके ही  संस्कार है!!

राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चार बेटे थे किए!
और चारो की एक लाड़ली बहन,इन पांचों के लिए जिए!!
सबको अच्छी  शिक्षा दी ,सबका संस्कारी परिवार है!
आज हम सब एक है ये उनके ही  संस्कार है!!

नेक दिल बहुत थे वो ,प्यार बाटते गए!
सब मिलके साथ रहो ,हमेशा डाटते रहे!!
हम सब आज खुश है जो ,
ये उनके आशीर्वाद की बहार है!
आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!!

जब तक माताजी साथ थे पांचों ने सेवा खूब की !
और आज वो नही है तो ,याद आती आज भी!!
एक बेटा वहा आज भी सेवा कर रहा, यहां रह गए बस चार है!
आज हम सब एक है ये उनके संस्कार है!!

हम सबको यहां देखकर वो फूले नहीं समा रहे !
यही सबसे बड़ा आशीर्वाद जो हम सब यहा पा रहे।।
"गिरधर" की ये भावना बच्चो में भी ऐसा प्यार हो।
आज हम सब एक है ये उनके ही  संस्कार है।।

                     *सचिन गिरधर*

©Sachin Girdhar

*श्रद्धांजलि* स्वर्गीय गोविंद राम और विद्यावती जी का ये प्यारा परिवार है! आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!! राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चार बेटे थे किए! और चारो की एक लाड़ली बहन,इन पांचों के लिए जिए!! सबको अच्छी शिक्षा दी ,सबका संस्कारी परिवार है! आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!! नेक दिल बहुत थे वो ,प्यार बाटते गए! सब मिलके साथ रहो ,हमेशा डाटते रहे!! हम सब आज खुश है जो , ये उनके आशीर्वाद की बहार है! आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है!! जब तक माताजी साथ थे पांचों ने सेवा खूब की ! और आज वो नही है तो ,याद आती आज भी!! एक बेटा वहा आज भी सेवा कर रहा, यहां रह गए बस चार है! आज हम सब एक है ये उनके संस्कार है!! हम सबको यहां देखकर वो फूले नहीं समा रहे ! यही सबसे बड़ा आशीर्वाद जो हम सब यहा पा रहे।। "गिरधर" की ये भावना बच्चो में भी ऐसा प्यार हो। आज हम सब एक है ये उनके ही संस्कार है।। *सचिन गिरधर* ©Sachin Girdhar

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