White कुंडलिया
देता आँचल छाँव है, घनी पड़े जब धूप।
शोभा बढ़ती नार की, सुंदर लगता रूप।।
सुंदर लगता रूप, प्रजा हो चाहे राजा।
ठंडक देता शीश, शरण में इसकी आजा।।
कह नेगी समझाय, वही बन जाय विजेता।
जिसको राजा राम, छाँव आँचल की देता।।
©Godambari Negi
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