लोग अब दिल खोलकर मिलने जुलने से कतराने लगे हैं ,
बाते भी सिर्फ मतलब की बतलाने लगे हैं
सच पर पर्दा डालकर झूठा रौब जमाने लगे हैं
मुहब्बत की आड़ मे , नफरत की आग जलाने लगे हैं ,
पढ़े लिखे का ढ़ोंग रचाकर ,
दूसरो को बेवकूफ बनाने लगे हैं
हम तुम्हारे साथ हैं यह कहकर ,
एहसस दिलाने लगे हैं ,