मेरी ख़ुशियाँ उगती है दामन में तेरी.. तू सदा ही अ | हिंदी Poetry

"मेरी ख़ुशियाँ उगती है दामन में तेरी.. तू सदा ही अपने हाथों इन्हें सींचता रहता है..! सुबह की कोमल किरणों को... तेरे एहसास ले आते हैं मुझ तक.. फिर शाम की छाँव तले तेरे ख़्याल.. मेरे साथ सपने बुनने लगते हैं..! छू कर मुझे तेरे एहसास... मेरे आँचल से ओढ़ कर ख़ुदको छुपा लेते हैं.. रात तक करते रहते हैं वो... मेरे नींद के आने का इंतज़ार.. और मेरे पलकों को पूरी रात.. कई सारे हंसी ख़्वाब दे जाते हैं..! ©Jaya ki kalam (R)"

 मेरी ख़ुशियाँ उगती है दामन में तेरी.. 
तू सदा ही अपने हाथों इन्हें सींचता रहता है..! 

सुबह की कोमल किरणों को...
तेरे एहसास ले आते हैं मुझ तक.. 

फिर शाम की छाँव तले तेरे ख़्याल..
मेरे साथ सपने बुनने लगते हैं..! 

छू कर मुझे तेरे एहसास... 
मेरे आँचल से ओढ़ कर ख़ुदको छुपा लेते हैं.. 

रात तक करते रहते हैं वो...
मेरे नींद के आने का इंतज़ार.. 

और मेरे पलकों को पूरी रात..
कई सारे हंसी ख़्वाब दे जाते हैं..!

©Jaya ki kalam (R)

मेरी ख़ुशियाँ उगती है दामन में तेरी.. तू सदा ही अपने हाथों इन्हें सींचता रहता है..! सुबह की कोमल किरणों को... तेरे एहसास ले आते हैं मुझ तक.. फिर शाम की छाँव तले तेरे ख़्याल.. मेरे साथ सपने बुनने लगते हैं..! छू कर मुझे तेरे एहसास... मेरे आँचल से ओढ़ कर ख़ुदको छुपा लेते हैं.. रात तक करते रहते हैं वो... मेरे नींद के आने का इंतज़ार.. और मेरे पलकों को पूरी रात.. कई सारे हंसी ख़्वाब दे जाते हैं..! ©Jaya ki kalam (R)

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