DaughtersDay बहुत चंचल ,खुशनुमा सी होती हैं बेटिय | हिंदी कविता

"DaughtersDay बहुत चंचल ,खुशनुमा सी होती हैं बेटियां नाजुक सा दिल रखती है, मासूम होती है बेटियाँ छोटी सी बात पर भी रो देती है , नादान होती है बेटियाँ घर भी महक उठता है ,जब मुस्कुराती है बेटियाँ होती है बहुत तकलीफ , जब अपना घर छोड़ कर जाती है बेटियाँ घर लगता है सुना सुना ,कितना रुलाती है बेटियाँ चिड़ियों की झुंड सी चहचहती है बेटियाँ आंगन की तुलसी बन घर को महकाती है बेटियाँ पायल की रुनझुन सी गुनगुनाती है बेटियाँ पानी सी निर्मल, स्वच्छ नजर आती है बेटियाँ क्यों कहते हैं बेटियों को जमाने वाले पराया धन, दो दो घरों को महकती हैं बेटियाँ ( इंदिरा) ©indira"

 DaughtersDay  बहुत चंचल ,खुशनुमा सी होती हैं बेटियां
नाजुक सा दिल रखती है, मासूम होती है बेटियाँ
छोटी सी बात पर भी रो देती है , नादान होती है बेटियाँ
घर भी महक उठता है ,जब मुस्कुराती है बेटियाँ
होती है बहुत तकलीफ , जब अपना घर छोड़ कर जाती है बेटियाँ 
घर लगता है सुना सुना ,कितना रुलाती है बेटियाँ
चिड़ियों की झुंड सी चहचहती है बेटियाँ
आंगन की तुलसी बन घर को महकाती है बेटियाँ
पायल की रुनझुन सी गुनगुनाती है बेटियाँ
पानी सी निर्मल, स्वच्छ नजर आती है बेटियाँ
क्यों कहते हैं बेटियों को   जमाने वाले पराया धन,
दो दो घरों को महकती हैं बेटियाँ ( इंदिरा)

©indira

DaughtersDay बहुत चंचल ,खुशनुमा सी होती हैं बेटियां नाजुक सा दिल रखती है, मासूम होती है बेटियाँ छोटी सी बात पर भी रो देती है , नादान होती है बेटियाँ घर भी महक उठता है ,जब मुस्कुराती है बेटियाँ होती है बहुत तकलीफ , जब अपना घर छोड़ कर जाती है बेटियाँ घर लगता है सुना सुना ,कितना रुलाती है बेटियाँ चिड़ियों की झुंड सी चहचहती है बेटियाँ आंगन की तुलसी बन घर को महकाती है बेटियाँ पायल की रुनझुन सी गुनगुनाती है बेटियाँ पानी सी निर्मल, स्वच्छ नजर आती है बेटियाँ क्यों कहते हैं बेटियों को जमाने वाले पराया धन, दो दो घरों को महकती हैं बेटियाँ ( इंदिरा) ©indira

#DaughtersDay

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