कांटे किस्मत में हो तो बहारे आये कैसे जो नहीं बस | हिंदी शायरी

"कांटे किस्मत में हो तो बहारे आये कैसे जो नहीं बस में हो उसकी चाहत घटाएं कैसे सूरज जो चढ़ता है करते हैं उसको सब सलाम डूबते सूरज को बला सलाम हम दिलाएंगे कैसे वह नादान है समंदर को समझते हैं तालाब कितनी गहराई है उनसे बताएं कैसे......!! ©Rahul"

 कांटे किस्मत में हो तो बहारे आये कैसे 
जो नहीं बस में हो उसकी चाहत घटाएं कैसे 
सूरज जो चढ़ता  है करते हैं उसको सब सलाम डूबते सूरज को बला सलाम हम दिलाएंगे कैसे
  वह नादान है समंदर को समझते हैं तालाब कितनी गहराई है उनसे बताएं कैसे......!!

©Rahul

कांटे किस्मत में हो तो बहारे आये कैसे जो नहीं बस में हो उसकी चाहत घटाएं कैसे सूरज जो चढ़ता है करते हैं उसको सब सलाम डूबते सूरज को बला सलाम हम दिलाएंगे कैसे वह नादान है समंदर को समझते हैं तालाब कितनी गहराई है उनसे बताएं कैसे......!! ©Rahul

#Light @Phool Singh @pushpa magar 22 @Reetika sharma @Khushi Sankhla MR VIVEK KUMAR PANDEY

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