"मैंने हमेशा बस इतना ही चाहा था कि
वो दूसरों के सामने चाहे अपनी पहचान बदल ले
लेकिन
वो मुझे समझता है अगर तो
वो जब भी मेरे सामने आए
अपनी असल पहचान के साथ आए।
झूठ ज़रा भी शामिल न हो उसकी बातों में
वो मुझ पर यक़ीन रखता है अगर
तो बस सच को साथ ले कर आए।
ऐसा बिलकुल भी नहीं कि
मैं झूठ ही नहीं बोलती ज़रा सा भी लेकिन
जहाॅं ज़रूरत ही नहीं वहाॅं झूठ बोला ही क्यूॅं जाए??
©Sh@kila Niy@z
"