गुज़रा हूवा कल से जा मिले थे, आज का कोई खयाल नही र | हिंदी शायरी

"गुज़रा हूवा कल से जा मिले थे, आज का कोई खयाल नही रहा.. कुछ पल के लिऐ..... पुराणे यादों मे सैर कर आये थे.. कुछ मुस्कूराहटे कुछ हसीन किस्से चूमके आये थे, वो बजपण का दौर वो ढेर सारी खुशीयां देखकर आये थे.....और फिर से चेहरे पर खुशी छाई थी जैसे ही आवाज आयी बाहर से आखो के सामने वो दौर चुटकी मे गायब हो चुका था चेहरे पर फिर से मायूसी छाई थी अब मुझे एहसास हूवा वो कल का दौर गुज़र गया... अब हम आज की हकिकत से झुज रहे है... ©ganesh suryavanshi"

 गुज़रा हूवा कल से जा मिले थे,
आज का कोई खयाल नही रहा..
कुछ पल के लिऐ.....
पुराणे यादों मे सैर कर आये थे..
कुछ मुस्कूराहटे कुछ हसीन किस्से चूमके आये थे,
वो बजपण का दौर वो ढेर सारी खुशीयां देखकर
आये थे.....और फिर से चेहरे पर खुशी छाई थी
जैसे ही आवाज आयी बाहर से
आखो के सामने वो दौर चुटकी मे गायब हो चुका था
चेहरे पर फिर से मायूसी छाई थी
अब मुझे एहसास हूवा वो कल का दौर
गुज़र गया...
अब हम आज की हकिकत से झुज रहे है...

©ganesh suryavanshi

गुज़रा हूवा कल से जा मिले थे, आज का कोई खयाल नही रहा.. कुछ पल के लिऐ..... पुराणे यादों मे सैर कर आये थे.. कुछ मुस्कूराहटे कुछ हसीन किस्से चूमके आये थे, वो बजपण का दौर वो ढेर सारी खुशीयां देखकर आये थे.....और फिर से चेहरे पर खुशी छाई थी जैसे ही आवाज आयी बाहर से आखो के सामने वो दौर चुटकी मे गायब हो चुका था चेहरे पर फिर से मायूसी छाई थी अब मुझे एहसास हूवा वो कल का दौर गुज़र गया... अब हम आज की हकिकत से झुज रहे है... ©ganesh suryavanshi

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