हवाओं में अपनी खुशबु मिला उसे अफीम कर देती है ..
कभी खुद को अनारकली और मझको सलीम कर देती है !!
और उसे जरूरत नहीं किसी भी साजो श्रृंगार की
आंखो में काजल लगा खुद को आफरीन कर देती है !
खामोशी से अपनी महफ़िल संगीन कर देती है !!
कभी बेरंग जिंदगी तो कभी उसे रंगीन कर देती है
और वो पूछती है की किसके लिए लिखते हो जनाब
ये केहकर मोहतरमा मेरी शायरी की तौहीन कर देती है
©Aarav sharma
#anjaan Shaher
#OneSeason