तुम से पोशीदा कोई बात नहीं
हाँ नहीं जान-ए-इल्तिफ़ात नहीं
हर घड़ी उन का ध्यान उन का ख़याल
सुब्ह अपनी नहीं है रात नहीं
दिल में कितनी ही दास्तानें हैं
और होंटों पे कोई बात नहीं
कल यही रात थी यही हम थे
आज की रात में वो बात नहीं
अपनी मंज़िल पे आ गई है हयात
हादसे और सानेहात नहीं
मिल गया है किसी का ग़म 'राजे'
अब ग़म-ओ-फ़िक्र-ए-काएनात नहीं
©diksha brijwasi
#pehlimulakat