White फिर उसी राह से हम गुज़रे हैं
फिर वही दर्द है तनहाई है
फिर वही आँसू है तड़प है वही
फिर वही याद की परछाई है
फिर मेरी रुह है छलनी छलनी
फिर मेरी साँस पे बन आई है
फिर मेरी जान जान जाती है
फिर मेरी आँख ये भर आई है
फिर मेरे रात दिन उदास हुए
फिर मेरे वक्त मुझसे रुठे गए
फिर मेरे जख्म हरे होने लगे
फिर मेरे अपने मुझसे खोने लगे।
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक
©रिपुदमन झा 'पिनाकी'
#फिर