हिन्दी हमारी आन है, हिन्दी हमारी शान है, विश्व-धरा | हिंदी कविता

"हिन्दी हमारी आन है, हिन्दी हमारी शान है, विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है । संस्कृत की बेटी है, इसका इतिहास बड़ा महान है, हिन्दी हैं, हमवतन हैं हम, मुल्क ये हिन्दुस्तान है।। संस्कृत, पालि, प्राकृत फिर अपभ्रंश बनकर आई है, अपभ्रंश से अवहट्ट बनी, फिर हिन्दी ये कहलायी है। होगी भाषा औरों को, हमको माँ समान है, विश्व-धरा के मानचित्र पर भारत की पहचान है ।। लिपी देवनागरी अनूठी, महत् व्याकरण विज्ञान है, विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है।। ©NanduVistar"

 हिन्दी हमारी आन है, हिन्दी हमारी शान है,
विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है ।

संस्कृत की बेटी है, इसका इतिहास बड़ा महान है,
हिन्दी हैं, हमवतन हैं हम, मुल्क ये हिन्दुस्तान है।।

संस्कृत, पालि, प्राकृत फिर अपभ्रंश बनकर आई है,
अपभ्रंश से अवहट्ट बनी, फिर हिन्दी ये कहलायी है।

होगी भाषा औरों को, हमको माँ समान है,
विश्व-धरा के मानचित्र पर भारत की पहचान है ।।

लिपी देवनागरी अनूठी, महत् व्याकरण विज्ञान है,
विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है।।

©NanduVistar

हिन्दी हमारी आन है, हिन्दी हमारी शान है, विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है । संस्कृत की बेटी है, इसका इतिहास बड़ा महान है, हिन्दी हैं, हमवतन हैं हम, मुल्क ये हिन्दुस्तान है।। संस्कृत, पालि, प्राकृत फिर अपभ्रंश बनकर आई है, अपभ्रंश से अवहट्ट बनी, फिर हिन्दी ये कहलायी है। होगी भाषा औरों को, हमको माँ समान है, विश्व-धरा के मानचित्र पर भारत की पहचान है ।। लिपी देवनागरी अनूठी, महत् व्याकरण विज्ञान है, विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है।। ©NanduVistar

हिन्दी हमारी आन है, हिन्दी हमारी शान है,
विश्व-धरा के मानचित्र पर, भारत की पहचान है ।
संस्कृत की बेटी है, इसका इतिहास बड़ा महान है,
हिन्दी हैं, हमवतन हैं हम, मुल्क ये हिन्दुस्तान है।।

संस्कृत, पालि, प्राकृत फिर अपभ्रंश बनकर आई है,
अपभ्रंश से अवहट्ट बनी, फिर हिन्दी ये कहलायी है।
होगी भाषा औरों को, हमको माँ समान है,

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