नए वर्ष में कुछ ऐसा बनना गर वायु बनना, तो आंधी नही | हिंदी कविता

"नए वर्ष में कुछ ऐसा बनना गर वायु बनना, तो आंधी नहीं शीतल पवन बनना गर जल बनना, तो सुनामी नहीं मीठा झरना बनना गर आग बनना, तो दवानल नहीं दीपक बनना गर धर्म बनना, तो भच्छक नहीं रक्षक बनना गर मनुष्य बनना, तो अहंकारी नहीं परोपकारी बनना।। #Manish Kumar Savita ©Manish Kumar Savita"

 नए वर्ष में कुछ ऐसा बनना
गर वायु बनना,
तो आंधी नहीं शीतल पवन बनना
गर जल बनना,
तो सुनामी नहीं मीठा झरना बनना
गर आग बनना,
तो दवानल नहीं दीपक बनना
गर धर्म बनना,
तो भच्छक नहीं रक्षक बनना
गर मनुष्य बनना,
तो अहंकारी नहीं परोपकारी बनना।।
#Manish Kumar Savita

©Manish Kumar Savita

नए वर्ष में कुछ ऐसा बनना गर वायु बनना, तो आंधी नहीं शीतल पवन बनना गर जल बनना, तो सुनामी नहीं मीठा झरना बनना गर आग बनना, तो दवानल नहीं दीपक बनना गर धर्म बनना, तो भच्छक नहीं रक्षक बनना गर मनुष्य बनना, तो अहंकारी नहीं परोपकारी बनना।। #Manish Kumar Savita ©Manish Kumar Savita

#कुछ_ऐशा_बनना

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