में चांद हूं मेरी परछाई तो समंदर में भी आती हैं और | हिंदी शायरी

"में चांद हूं मेरी परछाई तो समंदर में भी आती हैं और घर भी बड़ी दूर है उसका फिर भी मिलने के बहाने रोज़ समंदर किनारे आती हैं ©Akhil Saini"

 में चांद हूं मेरी परछाई तो समंदर में भी आती हैं और घर भी बड़ी दूर है उसका फिर भी मिलने के बहाने रोज़ समंदर किनारे आती हैं

©Akhil Saini

में चांद हूं मेरी परछाई तो समंदर में भी आती हैं और घर भी बड़ी दूर है उसका फिर भी मिलने के बहाने रोज़ समंदर किनारे आती हैं ©Akhil Saini

#swiftbird कलंक @Pooja Udeshi @Gury kalakaar

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