वो कह गए हैं,
तकाज़ा करने तेरे घर को आऐंगे।
हमने भी कह दिया,
बिना बुलाए मेहमानों का आदर नही होता
प्रभु भी बहाने से बुलाते हैं।
ओर हम ठहरे आजाद हवा के पंछी,
न ठोर, न ही ठिकाना,
लिख देगे खत तुम को भी, अपनी
बर्बादी, अपनी हवा उठाने का,
आना, शामिल हो जाना,
लुत्फ़ लेना, मयियत मेरी उठाने का।
©arvind bhanwra ambala. India
तकाजा