यहा खुद को ही खुद से छुपाया जा रहा हैl
सच बात को झुठलाया जा रहा है
खुद को खुद की नजर में गिराया जा रहा है
सच बात को भी झूठा बताया जा रहा है
बहुत दुख होता है जब कोई बात बोलके ये बोल दे की मैंने ऐसा मैंने बोला ही नहीं ,
बहुत सी ऐसी बातें हैं जिसे सच होते हुए भी झूठा बताया जा रहा है
उड़ती हुई चिड़िया का पंख जलाया जा रहा है
जो लड़की किसी एक टॉपिक पर 10 मिनट अपनी बात रखती थी,
अब एक लाइन बोलने पर 1000 बार सोचा जा रहा हैं
उसे और उसकी बातों को दबाया जा रहा है
©shreya singh bhardwaj