शीर्षक - "आंगन की बारिश" बिना दान पुण्य कुछ नहीं | हिंदी Sha

"शीर्षक - "आंगन की बारिश" बिना दान पुण्य कुछ नहीं होता, ये तो कर्मो की भरपाई हैं। गर्मी की अब तड़प मिटी है, जब बारिश आंगन आईं हैं। तृण तरु की प्यास भूजी है, कृषक की मुस्कान हर्षाई हैं। पपीहा दादुर भी बोल उठे, घनघोर मेघा जो छाई हैं। ताल तलैया हुए लबा लब, एक नई उम्मंग भर आई हैं। जो आस रखी थी ईश्वर से हमने, ये उसकी ही अगुवाई हैं। लोगो की अब आस जगी है, जब बारिश आंगन आईं हैं।। @charpota_natwar_👻 ©Navin"

 शीर्षक - "आंगन की बारिश"

बिना दान पुण्य कुछ नहीं होता,
ये तो कर्मो की भरपाई हैं।

गर्मी की अब तड़प मिटी है,
जब बारिश आंगन आईं हैं।

तृण तरु की प्यास भूजी है,
कृषक की मुस्कान हर्षाई हैं।

पपीहा दादुर भी बोल उठे,
घनघोर मेघा जो छाई हैं।

ताल तलैया हुए लबा लब,
एक नई उम्मंग भर आई हैं।

जो आस रखी थी ईश्वर से हमने,
ये उसकी ही अगुवाई हैं।

लोगो की अब आस जगी है,
जब बारिश आंगन आईं हैं।।

@charpota_natwar_👻

©Navin

शीर्षक - "आंगन की बारिश" बिना दान पुण्य कुछ नहीं होता, ये तो कर्मो की भरपाई हैं। गर्मी की अब तड़प मिटी है, जब बारिश आंगन आईं हैं। तृण तरु की प्यास भूजी है, कृषक की मुस्कान हर्षाई हैं। पपीहा दादुर भी बोल उठे, घनघोर मेघा जो छाई हैं। ताल तलैया हुए लबा लब, एक नई उम्मंग भर आई हैं। जो आस रखी थी ईश्वर से हमने, ये उसकी ही अगुवाई हैं। लोगो की अब आस जगी है, जब बारिश आंगन आईं हैं।। @charpota_natwar_👻 ©Navin

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#OneSeason

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