सरे महफ़िल जो फैली रौशनी है जनाबे गौस कि जलवा गरी ह | हिंदी Poetry

"सरे महफ़िल जो फैली रौशनी है जनाबे गौस कि जलवा गरी है वही समझेगा बस निस्बत का मतलब बुज़ुर्गो से मोहब्बत जिसने कि है करम बगदाद वाले का हो जिस पर तो उसके पास आखिर क्या कमी है ना क्यों हम गौस कि ग्याराह मनाए उन्ही से ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी है पकड़ ले दामने गौसे ज़माना ये बंदा रब का औलादे नबी है फ़रिश्ते हश्र मे पहचान लेंगे उसे बेशक जो सच्चा क़ादरी है जो वलियो कि बुराई कर रहा है अभी तक उसके दिल मे तीरगी है है दामन हाथ मे गौसुल वरा का यकीनन ये मेरी खुशकिस्मती है न क्यों फैज़ान मुर्दा दिल हो ज़िंदा बना मे गौस धड़कन चल रही है ©Faizan Kanpuri"

 सरे महफ़िल जो फैली रौशनी है
जनाबे गौस कि जलवा गरी है

वही समझेगा बस निस्बत का मतलब
बुज़ुर्गो से मोहब्बत जिसने कि है

करम बगदाद वाले का हो जिस पर
तो उसके पास आखिर क्या कमी है

ना क्यों हम गौस कि ग्याराह मनाए
उन्ही से ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी है

पकड़ ले दामने गौसे ज़माना
ये बंदा रब का औलादे नबी है

फ़रिश्ते हश्र मे पहचान लेंगे
उसे बेशक जो सच्चा क़ादरी है

जो वलियो कि बुराई कर रहा है
अभी तक उसके दिल मे तीरगी है

है दामन हाथ मे गौसुल वरा का
यकीनन ये मेरी खुशकिस्मती है

न क्यों फैज़ान मुर्दा दिल हो ज़िंदा
बना मे गौस धड़कन चल रही है

©Faizan Kanpuri

सरे महफ़िल जो फैली रौशनी है जनाबे गौस कि जलवा गरी है वही समझेगा बस निस्बत का मतलब बुज़ुर्गो से मोहब्बत जिसने कि है करम बगदाद वाले का हो जिस पर तो उसके पास आखिर क्या कमी है ना क्यों हम गौस कि ग्याराह मनाए उन्ही से ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी है पकड़ ले दामने गौसे ज़माना ये बंदा रब का औलादे नबी है फ़रिश्ते हश्र मे पहचान लेंगे उसे बेशक जो सच्चा क़ादरी है जो वलियो कि बुराई कर रहा है अभी तक उसके दिल मे तीरगी है है दामन हाथ मे गौसुल वरा का यकीनन ये मेरी खुशकिस्मती है न क्यों फैज़ान मुर्दा दिल हो ज़िंदा बना मे गौस धड़कन चल रही है ©Faizan Kanpuri

#Lumi

People who shared love close

More like this

Trending Topic