सरे महफ़िल जो फैली रौशनी है
जनाबे गौस कि जलवा गरी है
वही समझेगा बस निस्बत का मतलब
बुज़ुर्गो से मोहब्बत जिसने कि है
करम बगदाद वाले का हो जिस पर
तो उसके पास आखिर क्या कमी है
ना क्यों हम गौस कि ग्याराह मनाए
उन्ही से ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी है
पकड़ ले दामने गौसे ज़माना
ये बंदा रब का औलादे नबी है
फ़रिश्ते हश्र मे पहचान लेंगे
उसे बेशक जो सच्चा क़ादरी है
जो वलियो कि बुराई कर रहा है
अभी तक उसके दिल मे तीरगी है
है दामन हाथ मे गौसुल वरा का
यकीनन ये मेरी खुशकिस्मती है
न क्यों फैज़ान मुर्दा दिल हो ज़िंदा
बना मे गौस धड़कन चल रही है
©Faizan Kanpuri
#Lumi