खामोश चहरों पर भी पहरे हजार होते है, हस्ती हुई आ | हिंदी कविता

"खामोश चहरों पर भी पहरे हजार होते है, हस्ती हुई आंखों के भी जख्म बेहिसाब होते है। अक्सर जिन रिश्तों को तोड़ देते है, वो रिश्ते ही सबसे अनमोल होते हैं। और जिनको हंसकर गले लगाते हैं, अक्सर वो ही रुलाकर जाते हैं। ©AJAY TIWARI"

 खामोश चहरों पर भी पहरे हजार  होते है,
 हस्ती हुई आंखों के भी जख्म बेहिसाब  होते है।
अक्सर  जिन रिश्तों को तोड़ देते है,
वो रिश्ते ही सबसे अनमोल होते हैं।
और जिनको हंसकर गले लगाते हैं,
अक्सर वो ही रुलाकर जाते हैं।

©AJAY TIWARI

खामोश चहरों पर भी पहरे हजार होते है, हस्ती हुई आंखों के भी जख्म बेहिसाब होते है। अक्सर जिन रिश्तों को तोड़ देते है, वो रिश्ते ही सबसे अनमोल होते हैं। और जिनको हंसकर गले लगाते हैं, अक्सर वो ही रुलाकर जाते हैं। ©AJAY TIWARI

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