किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूं नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूं ज़िंदा क्यूं नहीं होता
मिरी इक ज़िंदगी के कितने हिस्से-दार हैं लेकिन
किसी की ज़िंदगी में मेरा हिस्सा क्यूं नहीं होता
जहां में यूं तो होने को बहुत कुछ होता रहता है
मैं जैसा सोचता हूं कुछ भी वैसा क्यूं नहीं होता
हमेशा तंज़ करते हैं तबीअत पूछने वाले
तुम अच्छा क्यूं नहीं करते मैं अच्छा क्यूं नहीं होता
ज़माने भर के लोगों को किया है मुब्तला तू ने
जो तेरा हो गया तू भी उसी का क्यूं नहीं होता
#lost