ना मांगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से।। ख़ुश रहो उनसे | हिंदी कविता

"ना मांगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से।। ख़ुश रहो उनसे जो मिला जहां से।। क्यों मनाएं उसका गम जो मला ही ना था चलो मजाए कुछ खुशियां उसके लिए जो है साथ में।। क्यों मनाएं सतो जनमो की आस में गम क्यों ना जी ले ये एक जन्म सालो की तरह ना मंगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से ।। खुद रहो उनसे जो मिला जहां से।। ©Sahil Hussain"

 ना मांगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से।।
ख़ुश रहो उनसे जो मिला जहां से।।
क्यों मनाएं उसका गम जो मला ही ना था 
चलो मजाए कुछ खुशियां उसके लिए जो है साथ में।।
क्यों मनाएं सतो जनमो की आस में गम 
क्यों ना जी ले ये एक जन्म सालो की तरह
ना मंगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से ।।
खुद रहो  उनसे जो मिला जहां से।।

©Sahil Hussain

ना मांगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से।। ख़ुश रहो उनसे जो मिला जहां से।। क्यों मनाएं उसका गम जो मला ही ना था चलो मजाए कुछ खुशियां उसके लिए जो है साथ में।। क्यों मनाएं सतो जनमो की आस में गम क्यों ना जी ले ये एक जन्म सालो की तरह ना मंगो ज्यादा हसरतें उस खुदा से ।। खुद रहो उनसे जो मिला जहां से।। ©Sahil Hussain

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