आपसे ही सुबह आपसे ही शामे हुआ करती थी 'मां' बस आ | हिंदी Poetry Video

" आपसे ही सुबह आपसे ही शामे हुआ करती थी 'मां' बस आपके लिए ही तो संवरती थी ना अब वह सुबह है ना शामे ना 'मां' के पास सवरने के कोई बहाने ना हंसती है,ना सोती है बस दिन भर याद करके आपको रातों में छुपकर होती है दिल के किसी कोने से उसके एक टीस सी उठती है बिन आपके अब कोई सपने भी तो ना बुनती है बीमार कभी जब होती है तो बांट निहारा करती है कि शायद आप आओगे और आकर उन्हें सहलाओगे वहम है यह उनका दिन-रात उन्हें समझाती हूं यादों के इस घूंट को मैं भी हंसकर पी जाती हूं love you papa miss you so much ❤️😞 ©Ritu Gupta "

आपसे ही सुबह आपसे ही शामे हुआ करती थी 'मां' बस आपके लिए ही तो संवरती थी ना अब वह सुबह है ना शामे ना 'मां' के पास सवरने के कोई बहाने ना हंसती है,ना सोती है बस दिन भर याद करके आपको रातों में छुपकर होती है दिल के किसी कोने से उसके एक टीस सी उठती है बिन आपके अब कोई सपने भी तो ना बुनती है बीमार कभी जब होती है तो बांट निहारा करती है कि शायद आप आओगे और आकर उन्हें सहलाओगे वहम है यह उनका दिन-रात उन्हें समझाती हूं यादों के इस घूंट को मैं भी हंसकर पी जाती हूं love you papa miss you so much ❤️😞 ©Ritu Gupta

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