मैं लिखने लगू जो जीवन...
तो आप अपना साथ समझना,
मैं लिखने लगू जो सुकून...
तो आप अपने हाथों में मेरे हाथ समझना,
मैं लिखने लगू जो रात...
तो आप ही होंगे मेरा हर ख्वाब समझना,
मैं लिखने लगू जो दिन...
तो अपने आप को उस दिन की याद समझना,
मैं लिखने लगू जो आपको...
तो आप मुझे अपना संपूर्ण श्रंगार समझना,
मैं लिखने लगू जो मोहब्बत...
तो आप मेरे दिल पर बस अपना ही राज समझना !!
©शिवम् मिश्रा
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