सांसे पड़ रही हैं कम चले आओ हवा बनकर .. मरीज़ दर् | हिंदी कविता
"सांसे पड़ रही हैं कम चले आओ हवा बनकर ..
मरीज़ दर्द का हूं मै चले आओ दवा बनकर ..
बस तेरा नाम एक सुनकर छोड़ देता हूं मै बिस्तर ..
तड़पाओ और मत मुझको मेरी सुनलो मेरे दिलबर..
सांसे पड़ रही है कम तुम चले आओ हवा बनकर
🖊️🖊️ अभिषेक 🖊️🖊️"
सांसे पड़ रही हैं कम चले आओ हवा बनकर ..
मरीज़ दर्द का हूं मै चले आओ दवा बनकर ..
बस तेरा नाम एक सुनकर छोड़ देता हूं मै बिस्तर ..
तड़पाओ और मत मुझको मेरी सुनलो मेरे दिलबर..
सांसे पड़ रही है कम तुम चले आओ हवा बनकर
🖊️🖊️ अभिषेक 🖊️🖊️