दोहा :-
हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर ।
छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।।
थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास ।
इक हिंसक से आप अब , रखो न इतनी आस ।।
इक हिंसक के सामने , जो फैलाते हाथ ।
हिंसक अब जाओ समझ , देना कभी न साथ ।।
हिंदू हिंसक हो गया , रहना बचकर आप ।
उसके चलने की नही , आती है पद चाप ।।
भोले जी तो शांत है, काली है विकराल ।
बचकर रहना इस धरा , तू नन्हा सा लाल ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हिंदू हिंसक हो गया , बतलाते हैं चोर ।
छवि लिए महादेव की , करता है वह शोर ।।
थाम कटोरा हाथ में , आते क्यों हो पास ।
इक हिंसक से आप अब , रखो न इतनी आस ।।