देख अप्रतिम सौंदर्य धरा का चली कूँची, चली कलम। उंग | हिंदी कविता Video

"देख अप्रतिम सौंदर्य धरा का चली कूँची, चली कलम। उंगलियां थिरकी वाद्ययंत्रो पर, पाँव नाचने लगे छम छम। भाव विभोर होकर मन, कंठ गाने लगे देख धरा कला अवतरित हुई कई रूपों में, देख कर चहूँ ओर हरा भरा। ©Kamlesh Kandpal "

देख अप्रतिम सौंदर्य धरा का चली कूँची, चली कलम। उंगलियां थिरकी वाद्ययंत्रो पर, पाँव नाचने लगे छम छम। भाव विभोर होकर मन, कंठ गाने लगे देख धरा कला अवतरित हुई कई रूपों में, देख कर चहूँ ओर हरा भरा। ©Kamlesh Kandpal

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