बादल ने बेवजह उड़ना सिखा दिया,
आग ने जलाना और जलना सिखा दिया,
अलग तो नहीं है मेरा वजूद किसी से,
हां मगर जमाने ने बदलना सिखा दिया,
बदलना मेरी रजा नहीं मजबूरी समझो,
मुझे वक्त ने वक्त के साथ ढलना सिखा दिया।
प्यार, मोहब्बत, दोस्ती छोड़ के,
दौलत के पीछे चलना सिखा दिया।
अक्सर छूट जाता है मुझसे वो रास्ता मेरे घर का,
इन बड़े-बड़े चौराहों ने मुझे मुड़ना सिखा दिया।
लौटना अब भी चाहता हूं में अपने घर को मगर,
घोंसला उड़ा के तूफानों ने परिंदे को बेघर बना दिया।
कौन चाहता है अपने हाथो अपनी तबाही लेकिन,
मैं वो सख्श हूं जिसने ये भी करके दिखा दिया।
अलग तो नहीं है मेरा वजूद किसी से,
हां मगर जमाने ने बदलना सिखा दिया,
©Pawan Singh Prajapati
बादल ने बेवजह उड़ना सिखा दिया,
आग ने जलाना और जलना सिखा दिया,
अलग तो नहीं है मेरा वजूद किसी से,
हां मगर जमाने ने बदलना सिखा दिया,
बदलना मेरी रजा नहीं मजबूरी समझो,
मुझे वक्त ने वक्त के साथ ढलना सिखा दिया।